अजब गजब का चक्कर है ये अजब गजब की माया है कल की छुट्टी होनी थी पर आज का ऑर्डर आया है जिनकी छुट्टी थी शनिचर की उनकी तिकड़मबाजी है रातों रात किया ये घपला वो ही मुल्ला काजी है मास्टरजी का हाल ना पूछो उनकी सुनता कौन है चाहे जितने काम करा लो उनके हित पर मौन है कोई आधे रस्ते पहुँचा दिन सारा बेकार हुआ घी के दीप जलाते हैं वो जिनका बेड़ा पार हुआ अब तिल्ली में तेल है कितना देखो तेल की धार को शायद सबकी छुट्टी अब तो हो जाये शनिवार को ये सारी है प्रभु की लीला वो जाने गति काल की मिलकर सारे जय बोलो भई कृष्ण कन्हैया लाल की
अनजान